रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाना है तो करें ये योगासन, हमेशा रहेंगे फिट और तंदुरुस्त

रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाना है तो करें ये योगासन, हमेशा रहेंगे फिट और तंदुरुस्त

सेहतराग टीम

योग और एक्सरसाइज करने से हमारे शरीर को काफी फायदा होता है। हमारा शरीर फिट और तंदुरुस्त रहता है। यही नहीं हमारे शरीर के दर्द और ऐठन को भी योग सही करता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कौन सा योग करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। तो आइए जानते हैं उन योगासन के बारे में-

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आपको बता दें कि रीढ़ सारा भार अपने ऊपर उठाते हुए यह हमें चलने लायक बनाती है। यह नसों और नसों की जड़ों की भी रक्षा करती है। उम्र के साथ रीढ़ में समस्याएं आने लगती हैं। इस समस्या को लोग तब तक महसूस नहीं करते जब तक यह दर्द नहीं देने लगती हैं। अगर रीढ़ में आगे होने वाली समस्या से छुटकारा चाहते हैं, तो इसका ख्याल हमें दिन की डेली रूटीन में रखना चाहिए। आइए कुछ ऐसे योग के आसानों पर नज़र डालते हैं जो न केवल हमारी रीढ़ की सुरक्षा करेंगे बल्कि रीढ़ के काम करने में भी सुधार करेंगे।

धनुरासन: 

इस आसन को करते रहने से आपकी छाती खुलती है और धड़ को फैलाने में मदद मिलती है। यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, पोश्चर में सुधार करता है और पीठ दर्द से राहत देने में मदद करता है। अपने पेट के बल लेट जाएं और अपनी एड़ियों को अपने हाथों से पकड़ें। सांस लेते हुए जांघों को ऊपर उठाएं। इसके साथ ही सिर, छाती और पेट को ऊपर उठाएं और ऊपर देखें। पेट के निचले हिस्से पर शरीर को स्थिर करें। सामान्य रूप से सांस लेते हुए इस पोजीशन में रहे। अपने पैरों को पीछे खींचें ताकि बांह सीधी रहे। साँस छोड़ते हुए शरीर को चटाई पर लाएँ, अपनी टखनों को धीरे से छोड़ें अपने आप को जमीन पर वापस लाएं। हर्निया, अल्सर और हार्ट की समस्याओं वाले व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।

उर्ध्व मुख स्वसना: 

कुत्ते की मुद्रा में ऊपर देखते हुए, यह पीठ को झुकाने की सबसे महत्वपूर्ण योग आसन होता है। इस आसन को हर रोज करें। यह आपके छाती को फैलाता है, फेफड़ों को खोलता है और रीढ़ की, कंधे और बाहों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। अपने पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को रिबकेज के साथ लगाएं। आपका कन्धा आपकी कलाई के ठीक ऊपर लगा होना चाहिए। अपने धड़ को ऊपर उठाएं ताकि केवल आपकी हथेलियां और आपका पैर जमीन को छुएं। अपने पैरों को जोड़ें और अपने शोल्डर ब्लेड को कस लें। आपकी गर्दन आपकी रीढ़ से जुड़ी होनी चाहिए। सामने देखें और दस सांसों तक इसी कंडीशन में रहे। सांस छोड़ते और धीरे से जमीन पर आयें।

चक्रासन:  

इस फुल-व्हील पोज़ की प्रैक्टिस करने से छाती को खोलने में मदद मिलती हैए हिप फ्लेक्सर और कोर को फैलाने और रीढ़ की लचीला बनाने में मदद मिलती है। यह एक पीछे झुकने वाला आसन है जिसमे पैरए हाथए पेल्विस और कंधे का इस्तेमाल होता है। इसका प्रभाव रीढ़ और धड़ में होता है।

अपनी पीठ के बल लेट जाएं और अपने घुटनों को तब तक मोड़ें जब तक कि आपके पैर जमीन पर सपाट न हों जाए और यह आपके सिटिंग बोन के समानांतर हों। अपने हाथों की उंगलियों को कंधे की ओर किये हुए अपने कंधों के ठीक ऊपर जमीन पर रखें। अपने हाथों को नीचे दबाते हुए अपने धड़ को जमीन से उठाएं, अपने क्राउन को हल्के से आराम देते हुए जमीन पर रखें। अपने पैरों में पुश करें और अपनी हथेलियों पर सहन करने के लिए ज्यादा वजन लाएं। यह आपकी लोअर बैक को प्रोटेक्ट करने में मदद करेगा। यह सुनिश्चित करें कि आपका सिर न्यूट्रल पोजीशन में रहे ताकि आपकी गर्दन में कोई तनाव न रहे। इस पोजीशन में 10 बार सांस लेने तक बने रहे और धीरे अपनी पीठ और बांह को नीचे लायें।

शलभासन: 

इस आसन से कोर और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आसन बहुत आसान होता है इसे कोई भी कर सकता है।  अपने पेट के बल लेट जाएं, अपनी ठुड्डी को नीचे चटाई पर लगाये रखें और हथेली अपनी जांघ के नीचे रखें। हथेली को ऊपर करें, सांस लेते हुए पैर को उठाएं, इन्हें तब तक फैलाते रहें जब तक आप यह न महसूस करने लगे कि आपकी पीठ पर जोर पड़ रहा है। 10 बार सांस लेने तक इसी आसन में बने रहे और फिर धीरे-धीरे नीचे आयें। अगर आपको हर्निया, अल्सर या हार्ट अलाइनमेंट हैं, तो इस आसन को न करें।

 

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